Saturday, March 28, 2009

पतलियों और मुंह के बीच

यह मेरा पहला कहानी संग्रह था, जो दिल्ली के एक प्रकाशक साहित्यानिधि द्वारा 1989में छापा गया था। इसमें शुरूआती दौर की बारह कहानियां थीं। अब तो ख़ुद को ही यह बहुत पुरानी बात लगती है, इसलिए इस पूरे संग्रह को मैं अब नए सिरे से लिखकर, नए रूप में प्रस्तुत करने की कोशिश कर रहा हूँ। भले ही यह कहानियां वे ही रहें जो वे थीं, लेकिन उनको नए सिरे से कहने की कवायद अदभुत अनुभव देती है। निश्चय ही में चाहूँगा अब नए रूप में यह किसी नए प्रकाशक द्वारा छापा जाए। यह एक पुरानी किताब का वापस लौटना होगा, जो किसी भी लेखक के लिए बेहद ताजगी से भरा अनुभव है।

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