Thursday, April 23, 2009
बिहार से लौट आने के बाद
बिहार के एक पखवाडे की यात्रा के बाद वापस आकर उस विधा की तलाश कर रहा हूँ जो वहां अर्जित अनुभवों को वाणी दे सके और अभी तक यह एक संभावना है क्योंकि अभी तक तो भीतर काफी कुछ बिखरा पडा है । इतने बिखरावों के बीच विधा की तलाश कितना मुश्किल काम है यह बता पाना मुमकिन ही नहीं लगता।
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