बिहार के एक पखवाडे की यात्रा के बाद वापस आकर उस विधा की तलाश कर रहा हूँ जो वहां अर्जित अनुभवों को वाणी दे सके और अभी तक यह एक संभावना है क्योंकि अभी तक तो भीतर काफी कुछ बिखरा पडा है । इतने बिखरावों के बीच विधा की तलाश कितना मुश्किल काम है यह बता पाना मुमकिन ही नहीं लगता।
Aapki rachana ka bihar ko injtjar rahega.
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