Tuesday, March 17, 2009

कालाबकरा

इन दिनों में अपने नए उपन्यास कालाबकरा पर काम कर रहा हूँ। यह
भारतीय जीवन की तीन पीढियों की कथा है, जिसमें एक से ज्यादा
मुख्य पात्र हैं। इसका मूल परिचय फिलहाल तो इतना भर हो सकता है कि
जो भी आवाज़ कही जायेगी वह सुनी जरूर जाएगी, इसलिए भी,
और इसलिए भी कि हर सामान्य स्थिति में जो होता है वही इसमें है,
इसलिए इस उपन्यास के पात्र और घटनाएं उतना ही सच और उतना ही
झूठ हैं, जितना कि उन्हें एक औपन्यासिक कृति में होना चाहिए।

2 comments:

  1. blog ki duniya men swagat hai.ummid hai regular kuchh n kuchh padhne ko milega.

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  2. blog ki duniya men aapka swagat hai. ummid hai ki ab regular kuchh n kuchh padhne ko milega.

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